HULAS
बुधवार, 5 मार्च 2008
टूटे न हुलास का सिलसिला..
पडाव बदलने की आपाधापी कहें या मेरा आलसीपन , लंबे समय से “ अहा हुलास” की हाल -ख़बर नहीं ले paya. अब जीवन कुछ dharre पर to चलो करते हैं कुछ हुलास भरी बातें...
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मेरे बारे में
Pawan
लखनऊ में अखबारनवीसी। अपने लिए जो वक्त निकलता है उसमें से कुछ लम्हें दोस्तों के साथ गपाष्टक में बिताना पसंद करता हूं।
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वाह रे लड़कपन....
बुरा तो मानो होली है भइया..
हाँ,हाँ, विदेश में ऐसे ही होतें हैं बंगला गाड़ी
टूटे न हुलास का सिलसिला..
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