सोमवार, 29 दिसंबर 2008

साल नया, पुरानी इबारत

लो, फिर आ गया नया साल
मेरे कैलेंडर की इबारत बदलने
०१ जनवरी से ३१ दिसंबर तक
एक-एक दिन विहान किए मैंने
नए साल के इंतजार में..
अब आने को है नया साल
बीबी कल ही ले आईं नया गणेशआपा
पहले उनने त्यौहारों की तारीखें देखीं
फिर उलटा सालाना राशिफल का पन्ना
रोजगार की दिशा में किया प्रयास सार्थक होगा
साल के मध्य में सुधरेगी राहु की महादशा
उनकी आंखें चमकीं, उनींदेपन से मुझे झिंझोड़ा
मैंने, उबासियां लीं, 'सुजाता' का चेहरा हाथों में थामा
कितनी आशावादी हो तुम..मैंने कहा..
३१ दिसंबर २००७ का संवाद मत दोहराओ।
हां, मेरी शर्ट सफेद करती रहो रोज..
मैं रंग भरूंगा तुम्हारे सपनों में एक रोज
अपनी नींदें कर दी हैं नीलाम, ज़मीर गिरवी
चूल्हा गरम करने को, तुम्हारी साड़ी में पैबंद लगाने को।