बुधवार, 27 अगस्त 2008

कुछ नई लड़कियां.....

अबे ओए...इधर आ॥तू साले ना ऐसे नहीं सुधरेगा..इतना कहकर उस लड़की ने अपने हम उम्र लड़के को पीछे से एक किक जमाई। मैं तो ताकता ही रह गया॥टुकुर..टुकुर। लोवर हाफ़ में घुटने के थोड़ा नीचे तक चुस्त जींस॥ऊपर बनियाननुमा टीशर्ट डाले हुए थी वह लड़की। टीवी की पत्रकार है वह..उसके जैसी कई लड़कियां हैं। जो घर से दफ्तर के लिए निकलती हैं तो शर्म हया, लाज-लिहाज सब आल्मारी में बंद कर आती हैं। मेरे लिए ये थोड़ा नया और अटपटा भी था। ये तो सुना था कि थोड़ी बोल्ड होती हैं ये। मगर, इतनी ज़्यादा ये नहीं सोचा था। बेचारी हैं...करें तो क्या करें॥घर की चौखट लांघी नहीं कि अनगिनत निगाहें गड़ जाती हैं उन पर..समझती खूब हैं..पर ये समझने देती हैं कि वो कुछ समझ नहीं रही हैं। अब पर्दे में छिपी-दबी सकुचाई सी रहने वाली नहीं..मेरी दादी अम्मा बताती थीं कि उन्होंने पहली दफा जब दादाजी का चेहरा ठीक से देखा था तब तक उनकी तीन संतानें पैदा हो चुकी थीं,,मैंने थो़ड़ी ठिठोली भी की थी उनसे कि दादा जी का चेहरा देखे बगैर आप मां बनीं कैसे..उन्होंने आंखें तरेंरीं और कुछ बताया..जिसका आशय था कि अंधेरा भी लाज-लिहाज का परदा होता था। मगर दादी का ज़माना तो कब का लद गया भाई। महिलाएं पुरुषों के कदम से कदम मिलाकर नहीं, बलि्क उनसे एक दो कदम आगे बढ़कर चल रही हैं। मुझे इस पर आपत्ति नहीं है..आपत्ति है तो बस उनके टर्न आउट (पहनावे) पर। उनके साथ अभद्रता होती है..रेप जैसी वारदातें भी कम नहीं हो पा रही हैं। कहीं न कहीं विकृति कायम है। इसे उभरने न दें। बच्चियों आगे बढ़ो..लड़ो..चढ़ो..टकराओ,,लेकिन संभल..संभलकर पांव रखो..अभी गली-गली में शैतान घूम रहे हैं मुखौटे लगाए........

4 टिप्‍पणियां:

Brijesh Singh ने कहा…

yes pawam . very .good

Brijesh

पंकज मिश्र ने कहा…

pyare
ladkiyo par bhaddi bhaddi batein likhne main khub maja ata hai. kabhi ladko par bhi likho. apni kuntha is tarah mat nikaliye.

rachna, bly

जगदीश त्रिपाठी ने कहा…
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बेनामी ने कहा…

उल्लू जी जल्दी लिखो, नई नवेली पोस्ट
दीवाली पर आपको,मिले मिठाई मोस्ट
मिले मिठाई मोस्ट,लौट कर आजा प्यारे
दीप पर्व पर शब्द, सजा जा अपने प्यारे